तुम्ही कहो, वो कौन सी बात कहें हम,
सुनकर जिसे, और भी जिक्र करो तुम।
हवा मधुर मधुमास, होठ भी मुसकराते रहें,
हाथों मे हाथ लिए, बस साथ चलते रहे हम।
तुम्ही कहो किन लफ्जों को कैसे चुनें हम,
मैं दिल की सुनु या सिर्फ मन की सुनो तुम।
या दोनो मिल कर, एक ऐसा फैसला करें,
इक-दूजे की हर बात पर हामी भरते रहे हम।
तुम्ही कहो कि न यादों को संजीदा करें हम
रुबरु होकर जिनसे न शरमाओ कभी तुम।
कलियों की ताजगी लिए खिले इत्र रंगे अक्षर,
खुशबुओं मेँ जिसके, अनवरत लिपटे रहे हम!