दीप जलाओ,नगर सजाओ,शुभ घड़ी पुनीत है त्योहार
उदित सूर्य कर रहा आलोकित अपने राम का दरबार।
विशवास को हमारे मिला, अखंड अनोखा वह आधार ,
सरयू तीर, विशाल विभूति अपने राम का राज त्योहार ।
सत्य सनातन वैदिक सपना, हिन्दुत्व हुआ आज साकार
एक सूत्र बंध ,करें प्रणाम अपने राम को बारम्बार।
साधारण यह मंडप नहीं अपितु आत्म रूप अखंड आकार,
भर उमंग चलो मिलने,अपने राम से सरयू के पार।
मची धूम ,हो रही अयोध्या में श्रद्धा की अमृत बौछार
रक्त जवा,अपराजिता,गुलाब सजाओ अपने राम के द्वार।
ला रहे हैं कंधे पर दूर दूर से दर्शनार्थी,कहार,
उन्हे दिखा दो,लगा जहाँ अपने निश्चल राम का दरबार।
उच्च स्वर में गुंजित है मधुर उतसव संगीत मलहार ,
होगी सिद्ध मनोरथ सबकी,अपन राम का पाव पखार।
विविध भोग रुचिकर चढ़ाऊ, व्यंजन बनाऊं अनेक प्रकार
स्वीकार करें अपने राम तो,स्नेह- श्रम होवे निसार ।
राह सवारू, छिडकू सुरसरित गंगा, गुंजित हो ओंकार ,
होवे तृप्त आत्मा सबकी,अपने राम के चरण पखार।