नटवर इस बार जब मधुबन जब आना
संग टोली गोपियन की निश्चय लाना
और गोपो को एक एक बांसुरी दे दना
जग मे चहु ओर उन्हे फैला देना
वो माधुर्य तुम्हारा फैला दे, कहना।
जग की मिट्टी को रंग दे, कहना
तुम्हारा संदेसा गूंजेगा सबअगंना
पत्थर भी सीखेगा मिश्री बहाना
कण कण तब सीखेगा मुसकाना
तुमको पडेगा सबके मन मे रहना
बेणु बन जायेगी सबका गहना
मधु मुस्कान सिखायेगा सजना।
बसेगा गोपियन का संसार अपना।