खोई कहां है चिंता,बंद है पडा,दूर फिक्र का घर
उडती है खुशी साथ उसके, लगा कर कोमल पर
यहाँ से वहां और फिर यहां,करती रहती वह दिन भर
जाने कहां से भर लाती है ,पाकेट मे यह शक्ति सागर!
कूदती ही रहती है बना बना कर गाती है गीतदिन भर!
An educator's life blog
खोई कहां है चिंता,बंद है पडा,दूर फिक्र का घर
उडती है खुशी साथ उसके, लगा कर कोमल पर
यहाँ से वहां और फिर यहां,करती रहती वह दिन भर
जाने कहां से भर लाती है ,पाकेट मे यह शक्ति सागर!
कूदती ही रहती है बना बना कर गाती है गीतदिन भर!