पूछो इनसे किसके स्वागत मे खिलती
ये गुड़हुल की कलियां,लाल रंगीली!
मीठा रस-पाक भरकर आचंल में
बुला रही डाली पर परिन्दे नन्हे!
देखो उनकी चतुराई हठीली
पंख पसार बैठ डाल हरियाली
मधु सुगंधित बनाने ले जाती हैं रस,
रानी की खिदमत में फिर जाती बस!
हरे चमकते पत्तों की बिछा कर चादर
बुला रही मधुबन के श्याम रगं मधुकर !
कह रही जैसे “तुम भी कुछ मुझसे ले लो
अपने सुर मे थोड़ी मीठी मिस्री तो घोलो!”