कभी सब छोड़कर, बिना वजह आराम करना अच्छा लगता है
छोड़ ढीला हाथ पैर बिना कारण छत ताकना अच्छा लगता है
होते ऐसे पल,देखने को घड़ी, एक बार भी मन नही करता है।
गूंज रहा होता घर,होते बच्चे पास या कोई होती व्यस्तता
बस एक ही बात चित में अक्सर भर देती है अथक तत्परता
बना लें नियम ऐसा कि निरर्थक सोचने के लिए समय न होता
सोचने का मौका न मिलता ,थकने की बात न होती।
जूझती रहा दिनचर्या से तो फिर कोई विचार नही आता
मन मे शिकायत नही , ऊर्जावान हवा का आयात होता!