पुनीत नींव निर्माण “
दीप जलाओ,नगर सजाओ,शुभ घड़ी ,पुनीत है त्योहार,
उदित सूर्य कर रहा आलोकित ,अपने राम का दरबार।
विशवास को मिला हमारे , अखंड अनोखा वह आधार ,
सरयू तीर, विशाल विभूति,अपने राम का हो रहा त्योहार।
सत्य सनातन वैदिक सपना, हिन्दुत्व हुआ आज साकार ,
एक सूत्र बंध, करें प्रणाम अपने राम को हम बारम्बार।
असाधारण यह मंडप , प्रदीप्त दीप अखंड-आकार,
भर उमंग चलो मिलने,अपने राम से सुरसरि के पार।
मची धूम ,हो रही अयोध्या में , श्रद्धा की अमृत बौछार,
शुभ सुरभित रंगीन पुष्प सजाओ अपने राम के द्वार।
ला रहे हैं कंधे पर अनगिनत सुदूर दर्शनार्थी,भक्त कहार,
स्थान दिखा दो,लगा जहाँ,अपने निश्चल राम का दरबार।
उच्च स्वर में गूजं रहा है मधुर उतसव संगीत मलहार ,
होगी सिद्ध मनोरथ सबकी,अपन राम का पाव पखार।
विविध भोग रुचिकर चढ़ाओ, व्यंजन बना अनेक प्रकार ,
स्वीकार करें अपने राम तो,सबका स्नेह- श्रम होवे निसार
राह सवारू, छिड़को गंगाजल, गुंजित हो रहा ओंकार ,
हो रही तृप्त आत्मा सबकी,अपने राम के चरण पखार।
शमा सिन्हा
9-8-’20

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