ऐ वक्त तेरी किस्मत पर आता मुझे है रश्क
पहन कर सरताज तू बेफिक्र हो, फिरता बेशक!
तुुझपर तो बरसती हैं बेहिसाब खुदाई की रहमतें,
ख्वाहिशों पर तुम्हारे नही किसी की कोई बंदिशे।
हक है तुझे लकीर खींचने का जिन्दगी में सबके,
हस्तक्षेप कर पल में,जीत लिया बेशक कई तमगें।
किसी को कितनी भी हो तकलीफ, तुझे क्या?
आंखों पर बंंधी पट्टी दूर रखती तुझसे शर्मो- हया।
सुख-सुकून की झोली रखता कटि कसकर बांधे,
तेेरी रहमत के इंतजार में हाथ रहते हमारे बंधे!
आखें खुलती नही तेरी किसी की तकलीफ देखकर
दरवाजा खुशी का खोलता है तू मुश्किल से क्षण भर!
जाने क्यों,हम श्वासों को अपनी तुझसे रखते है बांधे,
एक तू है कि बगल से गुजर जाता है बिना हमें देखे!
शमा सिन्हा
28.3.23
ऐ वक्त …..