रथ यात्रा

देेखो,चले हमारे कृष्ण ननिहाल !
लेकर सबका स्नेह हजार !
साथ में हैं बलदाऊ , सुभद्रा।
उमंगअटूट हृदय सबके भरा।

रथ खींच रही,भक्तन की भीड़ सारी,
उमड़ा जन सैलाब, हृदय असुवन से भारी।

“रह न जाना कान्हा, लौट घर जल्दीआना!
बाट तकत दिन बीतेगा,सूनी होगी रैना!

सूना होगा मंदिर, सूनी रहेगी नगरी!
तुम रहोगे दूूर,तो कित बजेगी बांसुरी?”

शमा सिन्हा
20- 6 -23

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