“मिलने से डरता हूं!”

कई दिन बीत गए निभाया नही वादे को,
रहा नही कोई बहाना अब उनसे कहने को,
उनके जुनून के आगे हिम्मत नही बयां करने को,
डर है टूटे ना शीशा,थमाया उन्होने जो मुझको!

दूं क्या साक्ष्य उन्हे सच्चाई समझाने को?
पास है उनके वजह अनेक,मुझसे रुठने को,
वो आये थे बहुत हौसले से ,मुझसे मिलने को,
यादों का वास्ता है नही काफी सुलझाने को!

होंगें प्रश्न बहुत पास उनके ,मुुझसे पूछने को,
शब्द मेरे हुये रुसवा,जुंंबां चुप जवाब देने को,
जानता ना था,वो स्वीकारेंगे,मेरे हर हालात को,
देर हो चुकी इतनी,”मिलने से डरता हूं” उनको!

शमा सिन्हा
12-7-23

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