ऋतुु-राज बसंत

ओऊम।

प्रिय पाई,
एक स्वरचित कविता भेज रही। शायद यह तुम्हारे काम आये।

बसंत ऋतु फाल्गुन और चैत्र दो महीने रहता है।फाल्गुन, वर्ष का अंतिम माह है और चैत्र वर्ष का प्रथम माह।बसंत से हिंदू वर्ष आरंभ भी होता है और शुरू भी।इसीलिए बसंत ऋतु के वर्णन में दोनों को सम्मिलित किए हैं।
मां

“ऋतुओं का राजा बसंत “

ऋतुराज बसंत जब धरा पर आता ,
मन सबका मयूर बनकर नाचता!

धरती की चुनरिया नवरंगी हो जाती,
बागों में फल-फूलों की कली चटकती!

पत्तों में छुुपी कोयल पेड़ों से कुहुकती ,
डालों को फल से भर जाने को कहती!

खेतों से सोना तब सबके घर आता,
सबका मन, आंगन खुशियों से भरता!

फाल्गुन पूर्णिमा को होली सब मनाते,
रंगों से खेल, हम पकवान हैं खाते!

प्रथम चैत्र पर नव वर्ष है मनता,
ऋतु बसंत सबको बहुत प्यारा है लगता!

26-8-2023

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