“प्रेेम भैया को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनायें”




भेेज रही भैया आपको,जन्म दिन की ढेरों शुभ कामनायें!

स्वस्थ-प्रसन्न-सुखीऔर संतुष्ट आप सदा सपरिवार रहें!


आज भी याद हैं वो बचपन के प्यारे साथ बिताए लम्हें,

वो सफर कुुछ बड़ों केसाथ, जीप से किया था हम सबने।


मीठी हवा संग,”हरपुर-लौक”खोजती,
जीप चल रही थी दौड़ कर!

जुटे हुए “ट्रेलर” पर थे हीरो बने,आप दोनों और भैया शशीकर!



व्यस्त थे आप, देने में स्टाईल, देवानंद और शरीर कपूर से लेकर!


पण्डित कृपाल पाड़ें साध रहे हमपर ,अपना कड़क हुक्म थे इधर!


कान्वेंट में पढ़ते बच्चों पर मिली थी जो, करने को अगुआई,

अपना अंग्रेजी भाषा ज्ञान दिखाने की राह सीधी उन्हें दी दिखाई!

“इट ईज भेरी कोल्ड “,फिर लगे बाकी भूले शब्द खोजने,

“पलीज भियर युओर स्विटर्ज “कह बड़े गर्व से लगे हंसने!


उनके इस कोशिश पर हम बहने भी ना रह सके धैर्यपूर्वक चुप,

खि! खि! खि !खि! कर अचानक, जोर से खिलखिला पड़े हम सब!


अचानक अपनी ओर, चार आंंखें गम्भीर मिली, हमें घूरती,

ऐसे में अपनी हंसी दबायें कैसे, सिट्टि-पिट्टी हमारी गुम थी!



हीरो सी हरकत करने में, आप दोनों रहे ,अधिक मग्न और मस्त,

इधर हमें पण्डित जी की अंग्रेज़ी कर रही थी बहुत त्रस्त!


फिर भी वह धूल भरा रास्ता, मस्त-मोहक रहा हैआज तक!

अचानक “भी भिल रिच यूूर भिलेज!” सुन आप भी हंस पड़े!

हम बहनों को मिली छूट! देर तक हंसी-ठहाकों में लोटते रहे!

फिर भी वह धूल भरा रास्ता,मस्त-मोहक बना रहा हैआज तक।


कामना यही,उस प्यारे-अनुभव-बंधन-वृक्ष को,”हरि” हरित रखें युगों तक !


शमा सिन्हा
5-11-23



“प्रेेम भैया को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनायें”

भेेज रही भैया आपको,जन्म दिन की ढेरों शुभ कामनायें!

स्वस्थ-प्रसन्न-सुखीऔर संतुष्ट आप सदा सपरिवार रहें!

आज भी याद हैं वो बचपन के प्यारे साथ बिताए लम्हें,

वो सफर कुुछ बड़ों केसाथ, जीप से किया था हम सबने।

मीठी हवा संग,”हरपुर-लौक”खोजती,
जीप चल रही थी दौड़ कर!

जुटे हुए “ट्रेलर” पर थे हीरो बने,आप दोनों और भैया शशीकर!

व्यस्त थे आप, देने में स्टाईल, देवानंद और शरीर कपूर से लेकर!

पण्डित कृपाल पाड़ें साध रहे हमपर ,अपना कड़क हुक्म थे इधर!

कान्वेंट में पढ़ते बच्चों पर मिली थी जो, करने को अगुआई,

अपना अंग्रेजी भाषा ज्ञान दिखाने की राह सीधी उन्हें दी दिखाई!

“इट ईज भेरी कोल्ड “,फिर लगे बाकी भूले शब्द खोजने,

“पलीज भियर युओर स्विटर्ज “कह बड़े गर्व से लगे हंसने!

उनके इस कोशिश पर हम बहने भी ना रह सके धैर्यपूर्वक चुप,

खि! खि! खि !खि! कर अचानक, जोर से खिलखिला पड़े हम सब!

अचानक अपनी ओर, चार आंंखें गम्भीर मिली, हमें घूरती,

ऐसे में अपनी हंसी दबायें कैसे, सिट्टि-पिट्टी हमारी गुम थी!

हीरो सी हरकत करने में, आप दोनों रहे ,अधिक मग्न और मस्त,

इधर हमें पण्डित जी की अंग्रेज़ी कर रही थी बहुत त्रस्त!

फिर भी वह धूल भरा रास्ता, मस्त-मोहक रहा हैआज तक!

अचानक “भी भिल रिच यूूर भिलेज!” सुन आप भी हंस पड़े!

हम बहनों को मिली छूट! देर तक हंसी-ठहाकों में लोटते रहे!

फिर भी वह धूल भरा रास्ता,मस्त-मोहक बना रहा हैआज तक।

कामना यही,उस प्यारे-अनुभव-बंधन-वृक्ष को,”हरि” हरित रखें युगों तक !

शमा सिन्हा
5-11-23

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *