“माता लक्ष्मी”
जहां सरस्वति बनती अग्रणी,
स्थाई बसती वहीं सदा लक्ष्मी!
ज्ञानदीप को प्रज्ज्वलित कर,
पनपाति विष्णुप्रिय दामिनी!
कारण छिपा ,एक अति गहरा,
श्रम में है चिर ज्ञान पनपता !
खेत खलिहान स्वर्णउपजता,
अनुकूल बीज जबश्रमिक है बोता!
बिन विद्या, कला नही निखरती,
ज्ञान बिना व्यर्थ जाती हरशक्ति!
विद्या विरााट देती स्थिर समृद्धी,
लक्ष्मी जिसके चौखट पर है बसती!
जिसने समझ लिया यह स्मरणीय सूत्र,
सम्मानप्रदित वह बनता लक्ष्मी -पुत्र!
शमा सिन्हा
रांची
9-11-23