ज़रूरी नही ,मजलिस लगे,दावतों का हो सिलसिला!
पता नही फिर भी क्यों इस दिन बढ़ जाती है
उमंगे-हौसला?
यह कोई नई बात नही, बचपन से रहा इसका दबदबा !
सभी अग्रज के आशीष का सच्चा साकार है फलसफा !
सूर्योदय से ही जन्नती खुशहाली शान से छाई रहती थी
उपहार की फर्माइश के पीछे कितनी साजिश होती थी।
छोटी फेहरिस्त की गुफ़्तगू सुबह शाम सखिया बतियाती थीं।
गुड़िया संग दूल्हा ,उनकी शादी मे बनेगी सखियां ही बाराती!
कौन क्या देगा,कई दिन से इसका अंदाजा लगाती थी,
मन ही मन अनमोल उपहारों की गिनती किया करते थी!
गुड़िया का दहेज, उसके बर्तन, पलंग, ड्राइंगरूम सेट—–!
जन्मदिन पर ही निर्भर थे ससुराल जाने वाले बर्तन प्लेट!
छोटी छोटीं चीजें!बच्चों को देती सौगात, रंगीन पेन्सिल!
जश्न के साथ, मनाती थी अपना सबसे बड़ा त्योहार, मिल!
सुबह से शाम तक घर के,तुम ही होती थी मालिक
बस गीत गाने को होते थे बड़े तुम्हारे साथ शामिल !
वो दिन, वो पल जाने कहां पंख पसार उड गये,लेकिन—–
पर यह दिन बना गया तुम्हे हमारे परिवार की “लक्खी क्वीन!”
यह मन वहीं ठहर गया है जैसे, बुलाकर बहार टठस्त ,
कर रही प्रार्थना, यह त्योहार तुम्हे बनाये रखे सदा यूहीं मस्त !
सरल स्नेहिल प्यार से तर बतर ,वैसी ही बनी रहो!
अपने बचपन के चुलबुले सपनों को हमेशा हमारे मन मे सजोंये रखो!
ढेरों प्यार-आशीर्वाद-दुलार!
Happy Birthday ,Pai!🥮💐🌈