पापा

दूर ना हो सके हम जिनसे,वो याद सदा हमें आते हैं!

थम जाता है वो मंजर,उनकी ही बातें हम दोहराते हैं!

हमारी लेखनी, हमारी भाषा,संस्कार जो हमें वो दे गए,

शरबत में हो चीनी जैसे,चिंतन-मनन में गहरे पैठ गये!

जीवन के सिद्धांतों में ईमानदारी को सर्वोत्तम बतलाए।

“समय नाआयेगा लौट कर”, सीख उन्हीं से हम पाये!

ध्यान केंद्रित करने की कला,बना सफलता का राज,

कर्मठता का पर्चम फहरा, सीखा निडर हो सजाना साज

विद्या-अर्जन, वाद-विवाद कला या होती पुष्प-प्रदर्शनि,

सक्षमता साबित करने में बनाया उनहोंने ही हमें धनी!

हर अवसर पर पल पल याद उन्हें हम सदा हैं करते,

ऐसे बहुमुखी पापा पाकर,ईश्वर को शत धन्यवाद देते!

(स्वरचित कविता)

शमा सिन्हा

ताः 25-12-23

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