“नये वर्ष के लिए “

कल्पना से भरी हुई अपेक्षा की तस्वीर ,

सुखमय और जीवन्त सुधार की तदबीर!

चुन कर खुशबू फूल हरश्रृंगार,रंग-अबीर,

पूर्ण करूंगी अधूरी मैं वह अपनी ताबीर !

आकाश को मै कुछ ऐसे हिस्सो में बांटूंंगी,

पुष्पित कुंज-गलियों में गायेगी कोयल काली!

आधे मे शरमायेगा सूरज,सजेंगे ऐसे बादल ,

बाकी में नाचेगा चांद,साथ चलेंगें तारे पैदल!

गुलाब जामुन,जलेबी मिल सजायेंगीं रंगोली,

महफिल में होंगें बस दो,मैं और मेरी सहेली!

एक बार फिर से बचपन को आयेगा दोबारा

खट्टा मीठा गोली पाचक खायेंगे बहुत सारा!

हर सोमवार के साथ आयोगा दोस्त रविवार ,

सारे साल गुंजायेंगॅ खुशियों से अपना परिवार!

(स्वरचित मौलिक कविता)

शमा सिन्हा

रांची।

ता: 29-12-23

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