तुम चाहे कुछ ना कहो!
अपना परिचय भी ना दो!
मौन तुम्हारी परिभाषा है,
जीवन की तुम ही आशा हो!
सफल परीक्षण ममता करती,
उद्घोषक हो सबके नियती की!
तुम शक्ति, तुम ही हो सरस्वति!
जीवन दायक ,तुम ही हो धारिणी!
माता ,मित्र,सेविका सहचरी हमारी!
हर रूप में लगती अपरिमित न्यारी!
भरती खुशियां,सुन हमारी किलकारी!
सृजित कण कण ब्रह्मांड तुम्हारी धूरी!