राम आये घर

राम के आगमन को देख रहा सारा संसार!

पाकर झलक लला की होंगे सब भवसागर पार!

उठा नही खंजर कोई गूंजी नही कोई शंख नाद।

भक्ति , विश्वास और धैर्य ने बिछा दिया विजय फूल !

सरयु तट ने किया परिभाषित, राम लला निज धाम!

न्याय ने सहर्ष स्वीकारा”स्कनद-पुराण” कौशल प्रमाण!

ब्रम्हा-विष्णु-रुद्रत्रीदेव को अर्पित देव-नगर”ग्रहमंजरी!”

इक्ष्वाकु,सगर,भगिरथ,दिलीप,हरिश्चंद्र कीअयोध्यानगरी!

मन रही राम वापसी की दिवाली,जले दीप सहस्त्र हजार

विराजेंगें आज रघुवर साकेेत, मन रहा घर घर त्योहार!

जलती रहेगी बाती इतनी,अखंड दीप का है आकार।

उठा कर शीश गर्व से कहो,अयोध्या नरेश राम सरकार!

आ रहे आगन्तुक अनेक दर्शन पाने को राम दरबार!

पवन पुकारे राम नाम, कुबेर लुटाये धन अपरंपार!

दशक पचास पूर्व हुआ धर्म के प्रति अमानुषिक व्यवहार

लौटा रहा वह सम्मान जगत आज कृतज्ञ हो साभार !

है भरी बहुत बिडम्बना कथा में ,कलियुगी अधर्म की!

समझ गया अब मुगल समाज,हमारे विश्वास की शक्ति!

राम नाम की मधुुर गूंज से जगत सारा पराधीन हुआ!

भारत के अध्यात्म ने विश्व में धर्माधार को प्रबल दिया !

सपना जीत का लेकर, हुआ था साकेत संघर्ष आरम्भ!

अयोध्या के उद्देश्य से, शीघ्र जुड़े समस्त भारतीय संघ!

हट गई है कालिमा,नवोदित सूर्य संवत्सर का है उत्तर !

“रामराज्य हो रहा स्थापित, कह रहा है साकेेत अंबर!”

हु

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