मेरे रघुवर,आपको निवेदन है,सिया का प्रणाम !
“सिया-राम” की इस जोड़ी का बनाये रखना आयाम!
मात पिता के वचनों का पालन हमने साथ निभाया!
सभी आदर्शो को प्रजा-राज्य सुख-आधार बनाया!
संकट में सत्य-समर्पित व्यवहार हमने निभाया!
भ्रात-सहिष्णुता ,सेवक के प्रति प्रेमधर्म अपनाया!
बना रहे मधु-रस रजिंत यूंही समाज का हर नाता!
ज्योति अखंड कर्तव्यनिष्ठा की,भारत रहे करता!
यूंही बनी रहे, सिया-राम की जोड़ी अखंड,सबकी प्यारी!
भारत को दें स्वस्थ्य-सौहार्द-संतोष, मांगती यही जनक दुलारी!
(स्वरचित एवं मौलिक रचना।)
शमा सिन्हा
रांची।
तिथि: 23-1-24