“अपने मन को मत मारो!”

दर्शन कर लो राम लला का,भर लो अपनी झोली

अपने मन को मत मारो,कह रही उल्लासित टोली!

हृदय उद्गारों को साझा कर छिड़को प्रीत की रोली!¡

त्रेता सियाराम खेलेंगे द्वापर राधाकृष्ण संग होली !

आस आज हुई पूर्ण वैैभब पूर्ण होगई अयोध्या नगरी!

थिरके केवट हनुमान विभीषण,कोयल बागों में चहकी!

करने को अभिनंदन रघुुवर का फूलों की क्यारी महकी!

सजे दरबार में शोभित हो रहीं राम संग जनक नन्दिनी!

दशरथ दे रहे आशीष,ले रही बलैया कौशल्या सुमित्रा केकैई ।

अपने मन को ना मारो,चरणबद्ध हो,करलो राम दर्शन!

होगा पूरा,सब सपना,अवसर यही करदो आत्मसमर्पण!

आये राम बसने ,अपनाकर हम सबके संग अयोध्या प्रागंण!

मन को ना मारो! खुली आँख स्वीकार करो यह जागृत वैभव!

कर बाधा विस्थापित,धर्म सनातन स्थापना किया जिन्होने सम्भव !

नमन है उन कारसेवको को!जिसने स्थापित किया सनातन सत्य !

धन्य धरती भारत की,धन्य है नरेन्द्र राजर्षि का नेतृत्व !

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