हौसला वीरों का मुरझाता नही शरीर की कमजोरी से
थक कर वीर कभी रुुकता नही, दुश्मन कीललकार से
सन सन्तावन के योद्धा,बन,वीर कुंवर सिंह हुये खङे !
अस्सी साल की उम्र में,उठा तलवार अंग्रेजों से भिड़े!
बन कर मां का रक्षक,उतरा जब कुंवर जगदीशपुुर में
हारीअंग्रेजों की फौज ,1857सिपाही विद्रोह रोकने में!
गोलियां बरस रही थीं ,नदी में नौका पर थेकुंवर सवार!
लगी जब दुुशमन की गोली, बांह से निकला रक्त धार!
घायल थे पर हार ना माने, उठाया कुंवर सिंह ने तलवार!
ईस्ट इंडिया कम्पनी थर्रायी,घबड़ाई उसकी हारी सेना!
देख कुवर की असीम वीरता आया दुश्मन को पसीना!
काट बांह को किया”सोन”अर्पण,स्वीकारा नही अंग्रेजी गोली!
रोक फौज दुश्मन की,तेइस अप्रैल को कुंवर ने विदा ले ली!
नमन हजार मातृभूमि का,शौर्य पुत्र को है अनेक प्रणाम!
ऊंचा उठा पर्चम प्रदेश का,लिखे कुंवर”आरा” का नाम!