मुझे शिकायत है!

ऐ मन ,तू रहता सदा साथ मेरे !

रहूं भीड़ में या होती हूं अकेले!

मित्र मेरा, तू ही एक है अंतरंग!

फिर क्यों करता है मेरा चैन भंग ?

तुुझसे छुपी नही मेरी कोई बात।

चलता रहता संंग चारो पहर साथ !

याद रखना किंतु मेरी एक बात,

बांधले पल्लू में अपने तू यह गांठ !

अब जगाना छोड़ दें मुझे देर रात!

तेरी यही आदत परेशान करती है!

तुझसे इसीलिए ही ,मुझे शिकायत है!

सीमा सिन्हा

5-2-24

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *