जाने क्यों यह मन बहुत परेशान हो जाता है
कुछ नही बस में किंतु निदान खोजता रहता है
समझा समझा कर मै हारी,मानना नही चाहता
जाने क्यों इस भेद को स्वयं सुलझाना चाहता है!
कर्मो ने लिख दिया है नियती की दिशा का नाम
उसे हमारी इच्छाओं से नही कुछ भी काम !
लाख तुम सोचो, अपने अहं को सहेजते रहो,
गिनते रहो अपने दुःख, उम्मीद लेकर तड़पो,
तुम्हारा यह मन ,तुम्हे असहज बना कर रखेगा,
इसके साथ उलझते सारा समय बीत जायेगा!
चाहत है अगर शांति से वक्त गुजारने का हौसला
मन को रखो अनुशासित, ना दो इसे मनमाना उड़ना!