आज तेरा जगराता ,मां!

मैं आई तेरे द्वारे मां,लेकर अपनी लंंबीअर्जी

संंग लाई हू सजे थाल में तेरी रंंग-जवा चुनरी!

आज मुझेअपना लेना मां,मन ने आस लगाई !

तेरे ही दर पर सबने मां,मनसा-ज्योत जलाई!

हर पल मेरे साथ तू रहती,सुलझाती कठिनाई,

अखंंड दीप तुम्हार जलता,रोशनी सबने पाई!

महिषासुरमर्दिनी हो तु ,शुंभ ,अशुंभ को तारी!

गलतियां सारी माफ करो मां,मैंने गुहार लगाई !

पंच तत्व की काठी मेरी,हो रही बहुुत कमजोर

तेरी दया के बगैर मैया,होगी नही  मेरी भोर!

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