परेशानी

किसकी बात करें,किसको हम भूलें

पेशानी पर छाई रहती सबकी लकीरें,

हटा सकते नहीं हम सम्बन्ध का जाल

मन के हर कोने ने रखा इनको पाल।

किसी का आना हो,किसी का जाना

अपेक्षित परिणाम की जगती है वासना

शब्द के जाल बन जाते श्वासो पर फन्दे,

माथे पर बूंदें उभरती हैं जब वो हैं गूंजते!

सुलझा सकते नहीं इन्हें, अनेक गांठ डालते,

इच्छाओं की फरियाद के साथ घुटते रहते !

23.5.24

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