मौन

तेरी खामोशी में पा लेती हूं मैं अपने को,

सुनती हूं वाचाल उन दबी इच्छाओं को!

हुए बोल नहीं जिनके उच्चारित  लेकिन ,

दृढ़ संकल्प का दिलाया तुमने मुझे यकीं!

एक कवच पारदर्शी है बन जाता तुमसे ,

शब्दहीन अभिव्यक्ति पहुंचती आगे सबके!

तू शांत होकर भी, ज्वालामुखी सी दीखती,

ऐ मौन,तू है मेरी निशब्द प्रेरणा की अनुभूति !

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