इस हाल को करूं बयां किससे ?
इस उम्र में सुकून मिले जिससे।।
जोड़ कर तिनका बनता घोंसला।
बारिश में रखने को हौसला ।।
अगर परिंदा सदा उड़ता ही रहे।
भींगीं पलकें कभी खुल ना पायें ।।
लोगों कहते,”रात बितालो मेरे यहां!”
पर रात भर में कटेंगी न सारी सांसें वहां?
और ग़र पंख उसके सदा भींगते ही रहें।
चौखटों पर, औरों के फुदकता फिरे।।
ऐसे घोंसले का क्या उसे है फायदा ।
जिसके रहते भी वंह रहे सुकून से जुदा?
शमा सिन्हा
मुंबई
८-७-२४