रंग छाया नभ पर श्यामल।
जैसे उड़ा अंगवस्त्रं मलमल।।
काला हुआ सावन का अचकन ।
आंखों से उसके रंगा पसरा अंजन।।
पंख फैलाकर आए उडते बादल ।
बिजली ने कौंधाया चांदनी चपल।।
परिंदे,खोज रहे घोंसले की दिशा।
जाग रही चहुंओर जीवन जिजीविषा।।
स्वरचित एवं मौलिक
शमा सिन्हा
रांची।