“अकेलापन “

खुद को अन्तर्मन से जो मिलवाये,
अनुभवों को सुलझा कर समझाये,
लेेकर भूली बिसरी याद जो आ जाए,
मिठास भरा अपनापन दे जाये,
कितना प्यार भरा इसमें,कैसे समझाएं?
वक्त के घावों को धीरे से सहज सहलाये!
अपनों की कद्र, परायों का मान बढ़ाये!
जंग जीतने के कई रहस्य हमें समझाए !
हार को हटा,जिन्दादिली भर जाये!
स्वाभिमान भरा अनेक नई राह दिखाए!
भरकर प्यार, असीम ” अकेलापन” मेरा अपना हो जाये!

शमा सिन्हा
रांची।

31-10-23

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