मंच को नमन।

लेखनी रचना का संसार

दो दिवसीय आयोजन

दिनांक -९.८.२४
विषय -काव्य
विषय -घर की चौखट ‌घर की चौखट

हमारे लोक- लाज और सुरक्षा को समाये
उठते हर कदम को सबके, दिशा जो दिखाये।।

अआशा और निराशा में रौशनी जगमगाये।
लौटते पथिक को अपने आगोश में बसाये।।

जोड़ कर सारे रिश्ते घर की ज्योति जलाये।
इस पार से उस पार तक की दूरी जो मिटाये।।

मायके और ससुराल के बीच का फर्क समझाये।
थाम कर धड़कन, विह्वलता पर जो रोक लगाये।।

एक निराकार, सशक्त निश्चिंत अमिट निशान।
आंखों से परे,चौखट है सम्मान का अटूट प्रमाण।।

स्वरचित एवं मौलिक रचना।

शमा सिन्हा
रांची।

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