अच्छा लगता है सुबह शाम की तफरी।
जबरदस्ती,पैर तलाशते हैं अपनी हस्ती।।
छुप कर बगल से जब चंचल हवा है गुजरती।
छूकर तन मन को, वो व्याकुल सा कर जाती।।
लगता है वे मुझे अपने संग उड़ा ले जायेंगी।
मुस्कुराते चेहरों से कभी भेंट करायेंगी।।
कभी करूणा भरी तस्वीरें मुझे दिखायेंगीं।
मेरी ज़िन्दगी कैसी हो सकती, बतायेगी।।
मुझ जैसे अनेक राहगीरों से मुझे मिलायेगी।
चेहरों तले छिपी उन गहरी बातों को बतायेगी।।
हवा के साथ जो बगल से मेरी निकल गये।
उड़ते बालों ने जिन्हें उलझा रखा था कैद में।।
अच्छा लगता है जब तफरी में होता है परिचय ।
अनजानों से नये नाम का रिश्ता होता है तय।।