मानसरोवर काव्य मंच
दिनांक:२६अगस्त२०२४
विषय: मनमोहन बाल रूप कान्हा का
विधा: कविता
“मनमोहन बाल रूप कान्हा का”
बड़ा ही मनमोहक है, श्याम यह रूप तुम्हारा।
चित को यूं ठंडा करता जैसे हो मेघ कजरारा।।
इसमें भरी चंचलता ने मोहा है संसार सारा।
सांवरा तेरा रूप बना रौशनी भरा ध्रुव तारा।।
तेरी एक झलक पाने, गोकुल हर पल राह निहारा।
“छछिया भर छाछ”देकर,देखतीं गोपी नृत्य तुम्हारा।।
मटकी उनकी फोड़ कर,चहकता चेहरा तुम्हारा ।
मैया से करती शिकायत,साथ बुलाती तुम्हे दोबारा।।
उदास सारा वृंदावन करके,क्यों चला गया यशोदा लाला।
बह रही नदियां, उनके व्याकुल हृदय की धारा।।
नंद यशोदा का है तू नंदन,ओ श्रीराधा का प्यारा।
आस लगाये बैठा है जग,कब आओगे तुम दोबारा।।
स्वरचित एवं मौलिक।
शमा सिन्हा,
रांची।