“मुझे चाहिए!”

एक सखा  सौहार्दपूर्ण चाहिए जो सुन ले।

मेरी हर बात अपने पास सुरक्षित रख लें।।

गलतियों को मेरी ढक कर दफन जो कर दे।

दुखते जिगर के तार को स्पर्श कर सुकून दे ।।

गम्भीर उसके बोल यूं हृदय में मेरे पैठ जायें।

सुनकर जिसे मिट जायेअपेक्षा-मनोव्यथायें।।

हो उसके पास ऐसा वह धन, सन्तोष की ताबीर।

रंग दे सहज मन को खुश्बू में जैसे गुलाल-अबीर।।

जरूरी नही,रहे वह गिरफ्त में मेरे पास सदा।

लेकिन करले स्वीकार मेरी अच्छी-बुरी अदा।।

तटस्थ वह रहे सदा जैसे सूर्य का नया सवेरा।

भरा हो जिसमें चहचहाहट , मुस्कुराता चेहरा।।

मेरे हर अनुभव को कर ले जो सहज स्वीकार।

भर उदास बंजर मन में, खिला दे रंगीन बहार।।

रख कर मेरे कंधे पर हाथ,बस सहला दे प्यार से।

रुठे ना पल भर को, जगमगाता रहे आशाओं से।।

शमा सिन्हा २७.९.२४

२७.९.२४

पटना।

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