परिस्थिति कोई हो,सहज देता यह सबका समाधान ।
“अहंआनंन्दम”,रंग देता चारो दिशा सम्पूर्णआसमान !
दूरी सारी मिट जाती,अपनेपन की सजती होली!
रंगोत्सव चिबुक खेलता,आखें बोलती प्रेम की बोली!
अपने में छुपाये रखता,जाने कितने गमों की रोली,
इसका मूक मधुर संगीत बनाता दिल वालों की टोली!
पल भर में ही कह यह डालता बातें कितनी अनबोली,
जैसे कर रहा हो वह अपनी ही किस्मत से ठिठोली!
एक बार में कर जाता,सबके दृष्टि संदेह को निरूत्तर ,
बड़ता है प्रभाव इसका, समय के साथ दिनोंदिन
निरंतर!
आभा इसकी इतनी मनोरम, फट जाते बादल काले,
उगता दिवाकर फैलाता सुंदर मयूूख सजीले और सुनहले!
बिना लिए कुछ, लुटाता सबके बीच कुबेर का खजाना!
सजाकर मुख पर मुस्कान सम्भव है सर्व संसार जीतना!
(स्वरचित कविता)
शमा सिन्हा
रांची
ताः 15-12-23