“आशीर्वाद “

महिमा नापी ना जा सकती,ऐसा अमोल है होता आशीर्वाद,

असंभव को भी संभव करता,पाकर इसे सभी होते कृतार्थ !

देव,ॠषी ,नर और असुर, इससेे सभी बलशाली हैं बनते,

जागृृत करती यह शक्ति अनूढी,अतुुल वीर हम बन शत्रु पछाड़ते!

करती पूर्ण सबकी कामना ,शगुन भी इसमें है नित दर्शन देते,

“इक्ष्वाकु-वंशज आशीष”जैसे विभीषण को लंका नृप हैं बनाते!

आशीर्वचन श्री राम का पाकर लक्षमन ज्यों हुए सनाथ,

रघुुवर नाम उच्चारित तीर अविलम्ब हर लिया प्राण मेघनाथ!

काज सम्पन्न होते मंगलमय , देते जब अग्रज हृदयाशीष ,

शुभदायक होता सब अवसर, अर्जन को आशीष,अनुज रखते चरणों में शीश!

हनुमान बने बली, शिरोधार्य कर पवन अंजना रज-पाद,

दुर्योधन का बल उपजा,सती गांधारी ने जो दिया आशीर्वाद ,

कष्ट हरता ,सुख- सौभाग्य बढ़ाता आशीर्वचन बड़ों का,

बन कर रक्षा कवच,आयुष्य अखंंड जगाता सबका!

(स्वरचित कविता)

शमा सिन्हा
रांची।

8-12-23

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *