समस्त देश को जन्माष्टमी की अनेक बधाई और शुभकामनाएं! "मनमोहन बाल रूप कान्हा का"

बड़ा ही मनमोहक है, चंचल यह बाल रूप तुम्हारा।
चित को यूं ठंडा करता जैसे हो चपल मेघ कजरारा।।

इसमें भरी चंचलता ने मोहा है यह संसार सारा।
सांवरा तेरा रूप बना रौशनी भरा ध्रुव तारा।।

तेरी एक झलक पाने, गोकुल हर पल राह निहारा।
“छछिया भर छाछ”से बहला,गोपी देखतीं नृत्य तुम्हारा।।

मटकी उनकी फोड़ कर,चहकता चेहरा तुम्हारा।
वे मैया से करतीं शिकायत,साथ बुलाती तुम्हें दोबारा।।

उदास सारा वृंदावन करके,क्यों चला गया यशोदा लाला?
बह रही नदियां बन देखो, उनके व्याकुल हृदय की धारा।।

नंद यशोदा का नंदन,ओ श्रीराधा चितचोर प्यारा।
आस लगाये बैठा है जग,कब आओगे तुम दोबारा।।

स्वरचित एवं मौलिक।

शमा सिन्हा,
रांची।

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