मंच को नमन
महिला काव्य- मंच
पश्चिम रांची जिला इकाई
तारीख -९.४.२५
विषय -खत/संदेशा
मन में उमड़ रही आज अनेक बात ।
कैसे पहुचाऊं उन्हें तुम्हारे पास।
भेज रही लिखकर यह कोमल पात।
चला रही लेखनी असुवन साथ।
चाहती दिलाना याद वह चांदनी रात।
अमृत वर्षा बटोरते रहे अंजलि हाथ।
बिना बोले हम सुना रहे थे बातें सात।
कोयल की गूंज सहसा दे गई मात।
हम अंजान रहे, जाने कब बीती रात!
उड़ गई सहसा वह पंख फड़फड़ा।
छूट गया सहसा गुथा हुआ हाथ।
व्याकुल हो,ढूंढते रहे तुम्हे पात पाती।
प्रिय, भले ही छूट गया वो हमारा साथ।
पर मूंद ना सकी पक्के क्षण भर को आध।
बैठी आज भी लगाकर मैं आस।
क्यों यह दूरी बनाई,क्या थाअपराध?
स्वरचित एवं मौलिक रचना।
शमा सिन्हा
रांची, झारखंड।