मंच को नमन!
मानसरोवर साहित्य अकादमी
“आओ चलें अयोध्या नगरी”
आओ चलें अयोध्या,चले सिया राम की नगरी!
मन रहा रघुुवर त्योहार,”अगर” सुवासित सगरी!
आओ चले अयोध्या…..
हवन-कुंड सहस्त्र बने,होम करें विशवामित्र-बशिष्ट !
प्रसाद सभी पायेगें हवन का “राम हलवा”अवशिष्ट !
आओ चलें अयोध्या……
दशक पचास ,मिला था इक्ष्वाकु-वंशको अन्याय !
वीर भक्तों नें दी जान,पश्चात मिला न्यायालय न्याय!
आओ चलें अयोध्या…..
हाथ जोड़ हनुमान खड़े,कर रहे शुभ घड़ी अगुआई !
पाकर चावल का निमन्त्रण, घर घर गूंज रही बधाई!
आओ चलें अयोध्या……
आनंदित है दशरथ-कौशल्या-सुमित्रा-केकैई मन!
सिता-रघुुवर दरबार सजा रहे लक्षमन-भरत-शत्रुघ्न!
आओ चलें अयोध्या…..