सिक्खों के हुये नायक ,मां भारती के सुपुत्र ।
रक्षक बने पाकर,नौवें वर्ष में राज पाठ कासूत्र!
नौवें गुरू पिता इनके,जिनसे स्थापित हुआ धर्म !
समाज का देकर नेतृत्व दिखाए उनहोने सुकर्म ।
यौवन के पूर्व ही बन गये रक्षक नव भारत के!
मुगलों से लिया टक्कर,दिखाई वीरता सिद्ध कर के!
पगड़ी की लाज बचाई,मां के दूध का मोल चुकाया,
झुका ना सिर मुगलों के आगे,पाया शौर्य वीर गति का!
अपने चारों पुत्रों को भी मातृभूमि पर किया न्योछावर!
ऐसा इतिहास भारत का बना,आदर्श हुआ बलिदान !
बीते चाहे सहस्त्र युग,गुरु गोविंद की बनी रहेगी शान!