Bharat Diwas

जाग गया है भारत अब, देख रहा संसार सिर उठाकर!

गुंंज रहा इतिहास, ऊंंची तान में उपलब्धी सुुन कर!

गण-तंत्र बन गया,लोक-आधार स्वराज्य भारती का!

छू रही यहां नारी,आकाश की उचाई सूर्य-चंद्रअंबर का!

रखा समृद्धी काआधार मर्यादा पुरुषोत्तम ने तीन रंग !

नारंंगी-श्वेत-हरा बने गुण त्याग पवित्रता सम्रिद्धी के संग!

अधिकार और कर्तव्य में प्रत्येक का है संतुलित संयोजन !

गा रहे गीत पर्वत-नदी नयी उम्मीदों से समादृत वचन!

कहू कितना है मन मेरा उमंग-आनंद से आज रंग गया!

आये घर राम हमारे,युगों का सपना आज पूर्ण हो गया!

सबका हित,सबके साथ मूलमंत्र है युग तरक्की का!

बजरही देवध्वनी,खड़ीअप्सराएँ लिए थालआरती का!

कह रहा अमृत काल”आया समय सौभाग्य जगाने का!

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