पल पल घर में गूंजाना किलकारी!
प्रिय बनाना शब्द उच्चारित सबके,
चेहरे पर सजाना ,चमकती मीठीहंसी!
तह पर तह सजे सारी ऐसी बात,
ए हंसी तुम आओ झोली भरके!
मीठी यादें भिंंगोये हमारी पलके!
वही लौटने को मन चाहे दिन रात
जहां फिर हम सब हो जायें सबके!
बिछे नही प्रतियोगिता की बिसात
हंसी ठिठोली लाये ठहाके सबके
बीते समय रसीले ठहाकों के साथ
मजाक ना करे टुकड़े किसी दिल के!
स्वरचित एवं मौलिक रचना
शमा सिन्हा
रांची।