लेखनी का संसार
भाव प्रतिबिम्ब चित्र आधार शब्द:बेबसी की जंजीर
दिनांक -११.१२.२४
ये कैसा दिया है पंख मुझे ,
कैची धार बीच जो है सजे?
बंधन छोर मुख बीच फंसे,
दोनों का घातक खेल चले!
भूख अपनी मिटा नहीं सकती,
बातें अपनी कह नहीं सकती।
खुली ज़बान तो होऊंगी परकटी,
आप ही दो बबूल बीच अटकी!
लाचारी भरी है मेरी मनोदशा,
काल-कलुषित कर नारी की दशा।
पद-पेट,तन-मन , चारों को फंसा,
व्यक्त कर रही दुराचारियों की कुंठा!
क्या न्यायिक है यह आचार समाज का
बांधना था यूं अस्त्र बीच जीवन सपना
लवण चटा,लिया ना क्यों प्राण उसका
उठता ना कभी प्रश्न उसकी स्वतंत्रता का!
स्वरचित एवं मौलिक रचना।
शमा सिन्हा
रांची, झारखंड।
दिनांक -११.१२.२४