ऐ मन मेरे मान लेना एक बात
जब ग्लानि होवे ,कहना ना हटात्
लगेगा कुछ पल,होगा सब साफ
पंगत मे बैठ धीर, सुनना चुपचाप
होता नही समान, कोई दो विचार
बस सुन लेना,प्रगट करना आभार ।
थोड़ी सहनशीलता करेगी बेडा पार
रिश्तेदारी का होता है प्रत्युपकार ।
सहज शान्त है इसका परिचायक
इक पल सह ,प्रेम से झोली भरलो!
शमा सिन्हा
18-1-’21