बगिया को चिट्ठी

चले जब जब शीतल ठंडी बयार

समझना भेजा असीम है मैने प्यार

मेरी बगिया तू सबदिन खिलती रहना

फूलों में रंग अनोखे, तू भरती रहना।

बडे दुलार से मै तुम्हे याद हू करती,

तू कैसी है सोच मै हूं चिन्ता मे रहती।

लाई थी ,डालने खाद मै झोली भरकर

पडा रह गया है वह घर मे ताले के अंदर

गुलाब, मालती,गुडवहुल,कठकली बेली

रखना ध्यान, संग तुम सब एक साथ पली।

आयेगा बसंत शीघ्र, हूं नही तुम्हारे साथ अभी,

टोली बना, गाते रहना होली के गीत सभी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *