गिनो ना,किया क्या तुमहारे लिए है उसने
पाया है जीवन,उसकी सासो में से है तुमने।
तन को गढ़ कर दिया तुम्हारे,अपने ही तन से।
तोले क्रूर जग चाहे ,क्यो न कौडी के सिक्को में,
फिक्र इसे नही,जग लगाये तमाशा या सम्मान दे।
ढक कर रख सकती है,आंचल से नौनिहाल को,
आता है इसे हर मौसम मे टठस्त खडा रहने को।
स्थिर हाथ की तलहटी पर सिखाया कदम बढाना
देकर दूजा का पढ़ाया पाठ,समय का झूला झूलना।
अंधेरों को खुद झेल कर है उससे इन्हे है दूर रखा,
उजाले से नहला ,मन को स्थिरप्रज्ञ तृप्त रखा।
बहा है रक्त सदा उसका ,तुम्हारे शहीदी से पहले,
सजाया उच्च आदर्श दे ,तुम्हे उसने शौर्य के गहनों से।
बहे न आंसू उसके कभी, कहीं बन कर स्वार्थ ढाल,
थाम कर रखा हिम्मत उसने अपनी,हर पल, हर हाल
है तन के स्नायु रक्त मे इसकी है इतनी अपार शक्ति
नारंगी श्वेत हरे संग लहराता सदा हिम पर है ,चक्र भी।
शमा सिन्हा
21-2-’21