दिन अनेक बीत गये मेरे वादे को
रहा नही कोई कहाना कहने को
ना है हिम्मत ही सच्चाई बंया करने को
टूूट ना जाये शीशा,थमाया जो हांथों को।
दू क्या साक्ष्य सच्चाई बताने को,
उनके पास है वजह मुझसे रूठने को
वो आये होसले से मिलने मुझसे मिलने को,
पुरानी याद नहीं काफी सुलझाने को!
है प्रश्न बहुत पास उनके पूछने को,
शब्द बने मूक मेरे जवाब देने को,
जानता ना था वो स्वीकारेंगे मुझको ,
देर हुई बहुत मिलने से डरता हूं उनको!