“बस मुस्कुराना सीख लो !”
बस हर बात पर मुस्कुराना शुरु कर दो ,यादो को सारी, हवा के नाम कर दो. वो निशान, वो चुभन सब एकबारगी,खुशबुये चमन के नाम वसिहत कर दो ! आखों मे चमक आएगी नसों मे नरमियत ,होगा अहसास ,झूठी थी वो सारी दहशत ! साथी ना हो फिर भी जलसा सा लगता है,हर सांस मुक्कददर का सिकंदर होता है ! रांजिशों से दूर ,बस आगे चलना याद रहता है,हँसते लबों को,रंगींन हौसलों का साथ होता है ! हम हर बात पर अगर मुस्कुराना सीख लें ,सुकूने बादशाहत का ज़शने-नशा पा लें !