मंच को नमन ।महिला काव्य -मंच प. रांचीतिथि -२८.८ २४विषय -बतरसविधा- दोहाशीर्षक – बतरस “बतरस”

बतरस होता है तब ही रस भरा।जब मिलता है मन उमंग भरा।। लौटता जैसे है बचपन फिर से।मस्त बने गांव गली में फिरते।। कितने मनोहर सब नटखट से सीखते।चतुर राबडी की कई कथा है सुनाते।। हार नहीं वे किसी से मानते।बढ़ चढ़ कर सब शेखी बघारते।। झूठी सांची धटना को जोड़कर।नये नये तिलिस्म तीर वो मारते।। देने को मात वे कुछ भी कह जाते।तीरंदाजी में वे अर्जुन को हरा डालते। सपनों के ये व्यापारी,स्वप्निल दुनिया में जीते।अग्रज बस मुस्कुरा कर रह जाते। मौसी नानी जब थपकी दे देती।चौंक कर क्षणिक ,वे चुप हो जाते ।। उनको मिलने से ज्यादा बतरस … Continue reading »मंच को नमन ।महिला काव्य -मंच प. रांचीतिथि -२८.८ २४विषय -बतरसविधा- दोहाशीर्षक – बतरस “बतरस”

मनमोहन बाल रूप कान्हा का

मानसरोवर काव्य मंचदिनांक:२६अगस्त२०२४विषय: मनमोहन बाल रूप कान्हा काविधा: कविता “मनमोहन बाल रूप कान्हा का” बड़ा ही मनमोहक है, श्याम यह रूप तुम्हारा।चित को यूं ठंडा करता जैसे हो मेघ कजरारा।। इसमें भरी चंचलता ने मोहा है संसार सारा।सांवरा तेरा रूप बना रौशनी भरा ध्रुव तारा।। तेरी एक झलक पाने, गोकुल हर पल राह निहारा।“छछिया भर छाछ”देकर,देखतीं गोपी नृत्य तुम्हारा।। मटकी उनकी फोड़ कर,चहकता चेहरा तुम्हारा ।मैया से करती शिकायत,साथ बुलाती तुम्हे दोबारा।। उदास सारा वृंदावन करके,क्यों चला गया यशोदा लाला।बह रही नदियां, उनके व्याकुल हृदय की धारा।। नंद यशोदा का है तू नंदन,ओ श्रीराधा का प्यारा।आस लगाये बैठा है जग,कब … Continue reading »मनमोहन बाल रूप कान्हा का

मैंने हंसना सीखा है

खिले पुष्पों को देख मैंने सीखा उनसे नई बात। छोड़ अपेक्षा, डालों को देना अमित चाहत।। किसलय से लेकर रक्त -रंग,दे देना उसको मात। वह रह जाते हरित, फूल सजते रंग भरी पांत।। गिनते नहीं कुसुम कहां खिले, बंजर या बरसात । पंखुरी की नस मे सजाते रेशमी धागा कात।। उनके बीच फिर नित नूतन  होती श्रृगारी बात। आ जाती चुपके से तब ही, बिदा होने की रात।। कल तक जहां खड़ी थीं सब, लिए सौंदर्य सौगात। रंगविहीन निर्जीव हुई, किया मृत्यु ने जो आघात ।। फिर भी वैसे ही बनी थी उसकी निस्पृह मुस्कान । देख उन्हें,मैंने भी तबसे … Continue reading »मैंने हंसना सीखा है

रोको ना मुझे

बह जाने दो मुझे, अब जिधर मन चाहता है। रोको ना आज मुझे, यही आज जी चाहता है ।। बेगानी हवायें खींच रही,मन दिशा चाहता है। नये सावन की टपकती बूंदें पीना चाहता है।। पूछो ना मुझसे कुछ,कारण ना कहो बताने को।रोको ना मुझे,पहले जरा स्वाद उनका ले लेने दो। देखा था मैंने पत्तों से पेड़ों को इनका पारण करते। अनगिनत बूंदों से जड़ों को पाताल तक सींचते।। उन्हीं बादलों को नजदीक से आज चूम लेने दो । वो पराये सही,पल भर को अपना बना लेने दो। क्या पता,ये हवाएं कब रंग बदल लें अपना ये उजाला ये सूरज छोड़ … Continue reading »रोको ना मुझे

अच्छा लगता है

अच्छा लगता है सुबह शाम की तफरी। जबरदस्ती,पैर तलाशते हैं अपनी हस्ती।। छुप कर बगल से जब चंचल हवा है गुजरती। छूकर तन मन को, वो व्याकुल सा कर जाती।। लगता है वे मुझे अपने संग उड़ा ले जायेंगी। मुस्कुराते चेहरों से कभी भेंट करायेंगी।। कभी करूणा भरी तस्वीरें मुझे दिखायेंगीं। मेरी ज़िन्दगी कैसी हो सकती, बतायेगी।। मुझ जैसे अनेक राहगीरों से मुझे मिलायेगी। चेहरों तले छिपी उन गहरी बातों को बतायेगी।। हवा के साथ जो बगल से मेरी निकल गये। उड़ते बालों ने जिन्हें उलझा रखा था कैद में।। अच्छा लगता है जब तफरी में होता है परिचय । … Continue reading »अच्छा लगता है

मंच को नमन।

लेखनी रचना का संसार दो दिवसीय आयोजन दिनांक -९.८.२४विषय -काव्यविषय -घर की चौखट ‌घर की चौखट हमारे लोक- लाज और सुरक्षा को समायेउठते हर कदम को सबके, दिशा जो दिखाये।। अआशा और निराशा में रौशनी जगमगाये।लौटते पथिक को अपने आगोश में बसाये।। जोड़ कर सारे रिश्ते घर की ज्योति जलाये।इस पार से उस पार तक की दूरी जो मिटाये।। मायके और ससुराल के बीच का फर्क समझाये।थाम कर धड़कन, विह्वलता पर जो रोक लगाये।। एक निराकार, सशक्त निश्चिंत अमिट निशान।आंखों से परे,चौखट है सम्मान का अटूट प्रमाण।। स्वरचित एवं मौलिक रचना। शमा सिन्हारांची।

नमन वीर जवानों को

[11/01, 03:37] Shama Sinha: ॐSAHIARRA. my native village has always quizzed by its name. Its sandhi vichched(sahi +arrah) made me think why it is named so and if it is correct it should have been more developed than the Arrah townAnyway it stands with the same status as before with innumerable memories making it SAHI +ARRAH(REAL ARRAH for my late father ,NPSinha who was born and brought up in its beautiful natural rich surroundings a long time till our grand father late Uma kant Sinha moved to Patna to be employed as secretary to the governor then.However my father continued … Continue reading »नमन वीर जवानों को

Reminiscing Sahiarra

[11/01, 03:37] Shama Sinha: ॐSAHIARRA. my native village has always quizzed by its name. Its sandhi vichched(sahi +arrah) made me think why it is named so and if it is correct it should have been more developed than the Arrah townAnyway it stands with the same status as before with innumerable memories making it SAHI +ARRAH(REAL ARRAH for my late father ,NPSinha who was born and brought up in its beautiful natural rich surroundings a long time till our grand father late Uma kant Sinha moved to Patna to be employed as secretary to the governor then.However my father continued … Continue reading »Reminiscing Sahiarra

सीता का प्रश्न

3 ” “ दीपक की प्रज्वलित शिखा संग सगुण मुखरित यौवन ।मधुर कर रहा था दीपावली काअयोध्या में पुनरागमन।। लव -कुश को समर्पित प्रजा-पोषण राज सुरक्षा पालन।पूर्ण धरा धर्म स्थापन कर,शेष शैया विराजे थे नारायण ।। अनुकूल न थी श्वास, सिसक रहा जैसे नेपथ्य आवरण।क्षुब्ध करुण बना था शेष शैया, क्षीरसागर का शान्त वातावरण।। अप्रसन्न,अश्रुरंजित क्षीण ,मुदित न था अष्टलक्ष्मी मन।गम्भीर उदास था,चंचला का विलक्षण मृदुल सौंदर्य चितवन।। लक्ष्मी के पलकों मे ठहरे हुए धे असीमित अश्रु कण।स्थिर बनी वह बैठी थी,पर धीर हीन सी ध्यान मग्न ।। आज अचानक एक आक्रामक निश्चय उठा उनके मन।प्रश्न पूछने का प्रानप्रिय से,था … Continue reading »सीता का प्रश्न

काव्यांजलि

[11/07, 16:24] Shama Sinha: About the authorBook titleBook descriptionPrefaceAcknowledgementDedication ………………….. कवियित्री परिचयनाम – शमा सिन्हाजन्म – ३-६-५४स्थान – पटना, बिहार।शिक्षा – एम.ए(अर्थ-शास्त्र)एम. ए(अंग्रेजी)एम.एड कोमल और संवेदनशील मन की धनी,शमा सिन्हा की शाब्दिक अभिव्यक्ति बचपन से ही कविताओं के रुप में परिणत होने लगी थी ।समय के साथ भाषा की परिपक्वता ने अपना प्रभाव बनाए रखा। इनकी रचनाएं, प्रकृति एवं समाज के विभिन्न परिपेक्ष से प्रभावित होती दीखती हैं ।प्राकृतिक तत्वों को मानवीय गुणों से साकार रूप देकर, वृक्ष और पु्ष्प से मित्रवत वार्तालाप करना,इनकी विशेषता है।इनकी रचनाएं सहज और सरल भाषा में गहरे भावनात्मक एवं अध्यात्मिक जनसंदेशो से ओतप्रोत हैं। … Continue reading »काव्यांजलि