” समय का सपना “

सब लौट रहे हैं अपने निज घर , थका मन पर उत्साह भरा है स्वर! मंजिल पहुँचने के हैं जल्दी में । बच्चों संग, कुछ वक्त गुजारने! समय ,पंछी सा नजर है आता , सूरज नित नये सपने है दीखाता ! शाम,लेकर खुशी पल भर आती साथ। पतंग बन लम्हे उड़ा ले जाती रात! घोसलें डाल पर रह जाते , खाली, होती शुरू सफर की नई पाली! नया सहर सारा कुछ बदल देता । व्यस्त वह,पुनः रथ अपना है हांकता! शमा सिन्हा10-6-’20

” करवाचौथ “

स्नेह रंजित अनुपम है यह सुहाग त्योहार । भरा जिस में त्याग- समर्पण-निर्मल प्यार ।। दीर्घ काल का साथ, दो आत्मा होतीं समर्पित। जैसे यह धरती और चंद्रमा इकदूजे को हैं अर्पित।। कार्तिक माह के चौथे दिवस को चांदनी जब आती। पैरों में बांध पैंजनी,तारो जड़ी चुनरी चमकाती ।। भर कर अंंजली पुष्प-पत्र-जल करती अर्पण। हो जाता तृप्त नारी-मन,पाकर प्रेम सजन! सफल होता पूर्ण दिवसीय निराजल व्रत त्योहार । बांधता दोनों को करवाचौथ,अखंड संबंध अपार ।।

“ऐसा क्यों होता है?”

क्यों, कभी कभी दुआ भी गलत मांग लेतें हैं हम! खुद को ही बस, जीत का हुनरबाज मान लेते हैं हम! सामनेवाले को हराने में, खुद ही हार जाते हैं हम, और गम को छुपाने में, सबकुछ बता जाते हैं हम!…………… वो क्या कहेंगें, हम पर हसेंगें, यही विचारते रह जाते हैं हम! वो भी सोच सकते हैं, यह क्यों भूल जाते हैं हरदम! उन्हें भी, वह सब दीखता है,जिसे नजरअनंदाज कर देते हैं हम! खुद को समझदार, उनको ही नासमझ लेते हैं हम।…………..सबके साथ यही होता है या सबसे होशियार हैं हम? वक्त का यह तकाजा है या उम्र … Continue reading »“ऐसा क्यों होता है?”

“प्रभु, सुन लो बिनति!”.बना दिया है अपना अंश मुझे,दिया वह सब अभिलाषित गुण,फिर क्यों नहीं सम्भव वह सब ,जो चाहता प्रति पल मन अब?

सशक्त शरीर क्षीणकाय रहा बन,स्मृतिह्रास अब हो रहा क्षण क्षण,आस सुहास समेटती दुर्बलता कण,मूक दृष्टा बन, निहार रही मैं सब। रुदन से ही होता है यह कथा प्रारंभननवजीवन पर्व बनता,शिशु का मंगल क्रदंनहर्षित मात पिता,होता है गुंजित कुल -कुंजनअवतरित मानव बनता,पूर्ण परमात्म स्पंदन! श्री सशक्त रहे अब भी,सत-आत्माऔर तन,निर्मल सहज रहे,पुरस्कृत यह यात्रा जीवन,मालिक, रख लो बस इतना सा मेरा मन ,प्रार्थना स्वीकारो ,अरज रहा यही कण कण! शमा सिन्हा7.12.18

“कद ना नापो”

श्यामल मेघआच्छादित फुहारों तले,टिप टिप बूंन्दो से बिंधती ,कोपलेंमिढ्ढी में धसी दूब ने सहसा पुकारा,“कभी मुझसे भी हाथ मिलाया करो,माना, तुम्हारा कद है ऊंचा बहुत, परइन लंबे दरख्तों को शर्मसार न करो ।ये भी,झाडिय़ों के बीच से निकल करहंसते हुये लताओं के साथ बढतीं हैं।तुम इंसा, भूलकर सत्य ,मुझपर चलते हो।मन को मन मे रख,हम हैं बस मुसकुराते।मिढ्ढी की है काया,इसे क्यों हो भूल जाते।स्वरुप यह तुम्हारा,बस पडाव है सफर का,किस को पता, कल रौंदेगा कौन ,किसके सिर को?” शमा सिन्हा4/8/18 जिन्दगी , असीम खुशी का सपना हैहाथों को हाथ से, दिल को दिल सेबस चुपके से लेना-देना सीख ल़ें।कौन … Continue reading »“कद ना नापो”

“अकेलापन “

खुद को अन्तर्मन से जो मिलवाये,अनुभवों को सुलझा कर समझाये,लेेकर भूली बिसरी याद जो आ जाए,मिठास भरा अपनापन दे जाये,कितना प्यार भरा इसमें,कैसे समझाएं?वक्त के घावों को धीरे से सहज सहलाये!अपनों की कद्र, परायों का मान बढ़ाये!जंग जीतने के कई रहस्य हमें समझाए !हार को हटा,जिन्दादिली भर जाये!स्वाभिमान भरा अनेक नई राह दिखाए!भरकर प्यार, असीम ” अकेलापन” मेरा अपना हो जाये! शमा सिन्हारांची। 31-10-23

“प्यार का बन्धन”पुकारो प्रेम से ,कहो ना उसे,बंधन!वह तो बना है मेरे हृदय का स्पंदन !मासूमियत गर्भित वह महकता चंदन,करता मन जिसका प्रतिपल वंदन!

तुम पास रहो या बस जाओ मुझसे दूर ,गूंजती रहती तम्हारी तान सुरीली मधुर।धड़कते श्वासों में बसे हैं तुम्हारे ही सुर,मेरा जीवन बना जैसे राधा का मधुपुर! क्या नाम दूं इसको, यह रिश्ता कैसे समझाऊं?प्रतिपल साथ मेरे, मग्न मैं इसको ही निभाऊं।“खुशियां तुम्हारे चूमें चरण!”मै गीत यही गाऊं,तुम पर ही अपना सर्वस्व न्योछावर कर जाऊं! ना इच्छा,ना अधिकार ,ना है कोई अब कामना!बस हम रहें जहां भी यह रिश्ता सदा रहे बना!है विश्ववास,साथ यह सदा रहेगा सबसे अपना,तुम प्यार हो मेरे! बंंधन नही,मीत मेरे मनभावना! शमा सिन्हा24-11-23

“जाड़े की रात “

घर मे त्योहार सा उमंग भरा माहौल था छाया मुन्नी माई के पास बेटे का टेलीग्राम था आया! दो रात की रेल सवारी करके,बेटा पहुंचा मुम्बई खुश देख छोटी बहन को, नांचने लगा नन्हा भाई! ” मिल गई है मुझे नौकरी!”खबर जब चिट्ठी लाई, “जाड़े की छुट्टी में सब जायेंगे!”,मुुन्ने ने शोर मचाई ! कंबल की भी संख्या कम धी,फटी हुई थी रजाई ! “हम सब साथ नही जा सकते!”मां ने चिंता जताई। “रात में जब पड़ती है ठंड, लड़ते हो सब खींच चटाई! आस पड़ोस में होगी खिल्ली,रिश्ते मे घुलेगी खटाई । बीच रात में पापा उठकर करेंगे सबकी … Continue reading »“जाड़े की रात “

“आशीर्वाद “

महिमा नापी ना जा सकती,ऐसा अमोल है होता आशीर्वाद, असंभव को भी संभव करता,पाकर इसे सभी होते कृतार्थ ! देव,ॠषी ,नर और असुर, इससेे सभी बलशाली हैं बनते, जागृृत करती यह शक्ति अनूढी,अतुुल वीर हम बन शत्रु पछाड़ते! करती पूर्ण सबकी कामना ,शगुन भी इसमें है नित दर्शन देते, “इक्ष्वाकु-वंशज आशीष”जैसे विभीषण को लंका नृप हैं बनाते! आशीर्वचन श्री राम का पाकर लक्षमन ज्यों हुए सनाथ, रघुुवर नाम उच्चारित तीर अविलम्ब हर लिया प्राण मेघनाथ! काज सम्पन्न होते मंगलमय , देते जब अग्रज हृदयाशीष , शुभदायक होता सब अवसर, अर्जन को आशीष,अनुज रखते चरणों में शीश! हनुमान बने बली, शिरोधार्य … Continue reading »“आशीर्वाद “

” करवाचौथ “

स्नेह रंजित अनुपम है यह सुहाग त्योहार । भरा जिस में त्याग- समर्पण-निर्मल प्यार ।। दीर्घ काल का साथ, दो आत्मा होतीं समर्पित। जैसे यह धरती और चंद्रमा इकदूजे को हैं अर्पित।। कार्तिक माह के चौथे दिवस को चांदनी जब आती। पैरों में बांध पैंजनी,तारो जड़ी चुनरी चमकाती ।। भर कर अंंजली पुष्प-पत्र-जल करती अर्पण। हो जाता तृप्त नारी-मन,पाकर प्रेम सजन! सफल होता पूर्ण दिवसीय निराजल व्रत त्योहार । बांधता दोनों को करवाचौथ,अखंड संबंध अपार ।।