“जाड़े की रात “

घर मे त्योहार सा उमंग भरा माहौल था छाया मुन्नी माई के पास बेटे का टेलीग्राम था आया! दो रात की रेल सवारी करके,बेटा पहुंचा मुम्बई खुश देख छोटी बहन को, नांचने लगा नन्हा भाई! ” मिल गई है मुझे नौकरी!”खबर जब चिट्ठी लाई, “जाड़े की छुट्टी में सब जायेंगे!”,मुुन्ने ने शोर मचाई ! कंबल की भी संख्या कम धी,फटी हुई थी रजाई ! “हम सब साथ नही जा सकते!”मां ने चिंता जताई। “रात में जब पड़ती है ठंड, लड़ते हो सब खींच चटाई! आस पड़ोस में होगी खिल्ली,रिश्ते मे घुलेगी खटाई । बीच रात में पापा उठकर करेंगे सबकी … Continue reading »“जाड़े की रात “

“आशीर्वाद “

महिमा नापी ना जा सकती,ऐसा अमोल है होता आशीर्वाद, असंभव को भी संभव करता,पाकर इसे सभी होते कृतार्थ ! देव,ॠषी ,नर और असुर, इससेे सभी बलशाली हैं बनते, जागृृत करती यह शक्ति अनूढी,अतुुल वीर हम बन शत्रु पछाड़ते! करती पूर्ण सबकी कामना ,शगुन भी इसमें है नित दर्शन देते, “इक्ष्वाकु-वंशज आशीष”जैसे विभीषण को लंका नृप हैं बनाते! आशीर्वचन श्री राम का पाकर लक्षमन ज्यों हुए सनाथ, रघुुवर नाम उच्चारित तीर अविलम्ब हर लिया प्राण मेघनाथ! काज सम्पन्न होते मंगलमय , देते जब अग्रज हृदयाशीष , शुभदायक होता सब अवसर, अर्जन को आशीष,अनुज रखते चरणों में शीश! हनुमान बने बली, शिरोधार्य … Continue reading »“आशीर्वाद “

” करवाचौथ “

स्नेह रंजित अनुपम है यह सुहाग त्योहार । भरा जिस में त्याग- समर्पण-निर्मल प्यार ।। दीर्घ काल का साथ, दो आत्मा होतीं समर्पित। जैसे यह धरती और चंद्रमा इकदूजे को हैं अर्पित।। कार्तिक माह के चौथे दिवस को चांदनी जब आती। पैरों में बांध पैंजनी,तारो जड़ी चुनरी चमकाती ।। भर कर अंंजली पुष्प-पत्र-जल करती अर्पण। हो जाता तृप्त नारी-मन,पाकर प्रेम सजन! सफल होता पूर्ण दिवसीय निराजल व्रत त्योहार । बांधता दोनों को करवाचौथ,अखंड संबंध अपार ।।

“सपनो का जीवन “

कल्पना और अपेक्षा से भरकर बनाउंगी तस्वीर । सुखमय जीवन और मनभावन सुधार की तदबीर।। चुन चुन अपराजिता, हरश्रृंगार,भर खुशबू रंग-अबीर, पूर्ण करूंगी अधूरी मैं वह अपनी कल्पना की ताबीर ! श्यामल आकाश को मै कुछ ऐसे हिस्सो में बांटूंंगी। पुष्पित कुंज-गुच्छियों सा इंद्रधनुष से रंग डालूंगी।। आधे मे शरमायेगा सूरज,प्रभाति संग कुहुकेंगे बादल । बाकी में नाचेगा चांद,साथ चलेंगें तारे पैदल।। रसमलाई,गुलाब-जामुन,जलेबी मिल,उकेरेंगीं रंगोली। महफिल में होंगें बस दो,मैं और मेरी बचपन की सहेली।। एक बार फिर से अलमस्ति अपनी, आयेगी दोबारा। खट्टा मीठा स्वादिष्ट पाचक हम खायेंगे बहुत सारा।। हर सोमवार के साथ ही आयेंगें शनि और रविवार … Continue reading »“सपनो का जीवन “

“ऐसा क्यों होता है?”

क्यों, कभी कभी दुआ भी गलत मांग लेतें हैं हम! खुद को ही बस, जीत का हुनरबाज मान लेते हैं हम! सामनेवाले को हराने में, खुद ही हार जाते हैं हम, और गम को छुपाने में, सबकुछ बता जाते हैं हम!…………… वो क्या कहेंगें, हम पर हसेंगें, यही विचारते रह जाते हैं हम! वो भी सोच सकते हैं, यह क्यों भूल जाते हैं हरदम! उन्हें भी, वह सब दीखता है,जिसे नजरअनंदाज कर देते हैं हम! खुद को समझदार, उनको ही नासमझ लेते हैं हम।…………..सबके साथ यही होता है या सबसे होशियार हैं हम? वक्त का यह तकाजा है या उम्र … Continue reading »“ऐसा क्यों होता है?”

“अकेलापन “

खुद को अन्तर्मन से जो मिलवाये,अनुभवों को सुलझा कर समझाये,लेेकर भूली बिसरी याद जो आ जाए,मिठास भरा अपनापन दे जाये,कितना प्यार भरा इसमें,कैसे समझाएं?वक्त के घावों को धीरे से सहज सहलाये!अपनों की कद्र, परायों का मान बढ़ाये!जंग जीतने के कई रहस्य हमें समझाए !हार को हटा,जिन्दादिली भर जाये!स्वाभिमान भरा अनेक नई राह दिखाए!भरकर प्यार, असीम ” अकेलापन” मेरा अपना हो जाए!

“ऐसा क्यों होता है?”

क्यों, कभी कभी दुआ भी गलत मांग लेतें हैं हम! खुद को ही बस, जीत का हुनरबाज मान लेते हैं हम! सामनेवाले को हराने में, खुद ही हार जाते हैं हम, और गम को छुपाने में, सबकुछ बता जाते हैं हम!…………… वो क्या कहेंगें, हम पर हसेंगें, यही विचारते रह जाते हैं हम! वो भी सोच सकते हैं, यह क्यों भूल जाते हैं हरदम! उन्हें भी, वह सब दीखता है,जिसे नजरअनंदाज कर देते हैं हम! खुद को समझदार, उनको ही नासमझ लेते हैं हम।…………..सबके साथ यही होता है या सबसे होशियार हैं हम? वक्त का यह तकाजा है या उम्र … Continue reading »“ऐसा क्यों होता है?”

“ऐसा क्यों होता है?”

क्यों, कभी कभी दुआ भी गलत मांग लेतें हैं हम! खुद को ही बस, जीत का हुनरबाज मान लेते हैं हम! सामनेवाले को हराने में, खुद ही हार जाते हैं हम, और गम को छुपाने में, सबकुछ बता जाते हैं हम!…………… वो क्या कहेंगें, हम पर हसेंगें, यही विचारते रह जाते हैं हम! वो भी सोच सकते हैं, यह क्यों भूल जाते हैं हरदम! उन्हें भी, वह सब दीखता है,जिसे नजरअनंदाज कर देते हैं हम! खुद को समझदार, उनको ही नासमझ लेते हैं हम।…………..सबके साथ यही होता है या सबसे होशियार हैं हम? वक्त का यह तकाजा है या उम्र … Continue reading »“ऐसा क्यों होता है?”

“चुनाव “

मौसम पूर्वानुमान भी छूट रहा है बहुत पीछे, नेता के भाषण प्रतिस्पर्धी फरीश्त बिछा रहे । रिझाने को वादा,आसमान ज़मीं पर लाने का करते, असम्भव को बातों ही बातों में पूरा कर जाते ! क्यों भूलते हैं षडयंत्रकारी!आया है अब युग राम का! असत्य हटा कर अब सर्वत्र “आयुध “हीआसीन होगा! आत्म-जागरण करेगी सरयू- मंदाकिनी- गंगा धारा! योगी-सुमति सिद्ध करेंगे महत्व चित्रकूट तीर्थ का! चंचल बहुत आज विशाल सरल सगर-जनमानस, अचंभित मानव ढूंढ़ रहा अपने राम का दिशानिर्देश ! व्याकुल भारती खोज रहे तट सनातन धर्म स्वदेश ! हे विश्व-रचयिता त्राण दो!सुलझाओ यह पशोपेश! यह चुनाव बहुत कठिन,भरत-संतान की परीक्षा … Continue reading »“चुनाव “

शूरवीरों को नमन!

शक्ति स्तम्भ को देखना है जिन्हें,सशरीर चलते हुए, तो आकर,हमारे भारत की सीमा पर आपको देखले! वीर- रक्त सिन्चित संताने, पग-पग सचेत ध्वजा लिये! द्रृढता से जिनकी, पर्वत भी पाठ हैं नये नित सीख रहे ।, सागर के ज्वार भाटे नई ऊचाईयों को है ,निरंतर छूते! प्रशस्त लहरा रहा तिरंगा, हो आश्वस्त इन सींह- वीरों से, थम जाता समीर हतप्रभ,देख पाषाण-बाजू शमशीरों के! फूलों की तकदीरों में भी, उभर रहे हैं रग नय तबदीली के, बढ रही ऊम्र उनकी,हारकर बिखरते नहीं वो अब जमीन पे! मातृ नमन ,सिर ऊचां कर,कह रहा हिंद सारे संसार से – “रक्षित द्योढी है हमारी!”,धरा-आकाश, … Continue reading »शूरवीरों को नमन!