शूरवीरों को नमन!
शक्ति स्तम्भ को देखना है जिन्हें,सशरीर चलते हुए, तो आकर,हमारे भारत की सीमा पर आपको देखले! वीर- रक्त सिन्चित संताने, पग-पग सचेत ध्वजा लिये! द्रृढता से जिनकी, पर्वत भी पाठ हैं नये नित सीख रहे ।, सागर के ज्वार भाटे नई ऊचाईयों को है ,निरंतर छूते! प्रशस्त लहरा रहा तिरंगा, हो आश्वस्त इन सींह- वीरों से, थम जाता समीर हतप्रभ,देख पाषाण-बाजू शमशीरों के! फूलों की तकदीरों में भी, उभर रहे हैं रग नय तबदीली के, बढ रही ऊम्र उनकी,हारकर बिखरते नहीं वो अब जमीन पे! मातृ नमन ,सिर ऊचां कर,कह रहा हिंद सारे संसार से – “रक्षित द्योढी है हमारी!”,धरा-आकाश, …